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Sheher - Ek Nazar

कभी जागते, तो कभी सोते देखा है इस शहर को हमने ग़ुम होते देखा है   ईमारतों के पीछे छुपे हुए वो बाग़ हवेलियों महलों के टूटते हुए टाट अजी दो मंज़िले को ग्यारह मंज़िले से उलझते देखा है इस शहर को हमने ग़ुम होते देखा है मोटर और टांगों की खीँचातान भी है शोर-ओ-ग़ुल में सुकूँ भी कहीं है नवाबी शौकियों को भी ख़ार खाते  देखा है इस शहर को हमने ग़ुम होते देखा है सच का जामा ओढ़े झूठ को बेपरवाह गश्त लगाते देखा है तहज़ीब के दायरों में लिपटी जिस्म की नीलामी को देखा है रात के सन्नाटों को दिन में हमने ग़ुम होते हुए देखा है चाँद की चौदहवीं को कुछ यूं अमावस से गले मिलते देखा है बस, चंद लम्हात में हमने कई ज़िन्दगियाँ गुज़रते देखा है अजी सभी कुछ यहां होते हुए देखा है इस शहर को हमने ग़ुम होते देखा है  

कल रात यहाँ चाँद आया था

कल रात यहाँ चाँद आया था कुछ ख़्वाबों से भरके झोली गोया ज़मीन पे उतर आया था कल रात यहाँ चाँद आया था यहीं राह पर उस मुसाफ़िर को हमने गश्त लगाते देखा था जाने किस कूचे की फ़िराक़ में यूँ रात की गहराई में वो अचानक चला आया था कल रात यहाँ चाँद आया था चंद तारों को काली बुक्कल में उसने नगीनों से जड़ रखे थे उस बुक्कल की टाट खड़ी कर झोली खोल उसने अपनी ख़्वाबों का बाज़ार लगाया था कल रात यहाँ चाँद आया था कुछ निराश, कुछ हताश और कुछ सुस्तायी आँखें उससे नींद उधार ले गये थे कुछ यादों ने भी उसी टाट में अपना ठिकाना बनाया था कल रात यहाँ चाँद आया था लम्हों की गुज़ारिश थी की कुछ देर और कारोबार चले पर चाँद ख़ामोश इतराया था और बिन कोई निशां छोड़ सेहेर की अंजान राह पे उसे हमने ग़ुम होता पाया था कल रात यहाँ चाँद आया था कुछ ख़्वाबों से भरके झोली गोया ज़मीन पे उतर आया था कल रात यहाँ चाँद आया था

The Whole Language Debate is Redundant

I have been reading for ages about how English is killing off other languages in India, and how Hindi hegemony is being used to bully non-Hindi speakers. To me, these myths have no standing in today's India. Let me illustrate my own experiences to explain how. I essentially belong to a family that has Pahari culture. Our ancestors hail from a region called Kangra. However, Kangra has for the longest time been a part of Punjab, and so both our local Pahari dialects and Punjabi have a lot of cultural and linguistic affinity. Since the Pahari culture extends all the way up to Jammu and Bhaderwah, we can even communicate, and have familial links all the way, with Dogri and Bhaderwahi people. My father speaks Punjabi with his Dogri cousins, who respond in Dogri, and laugh at the same jokes and cry over the same sad stories. I grew up studying with English being the medium of instruction for all my schooling and English is what I say my first language of thought. I had been a long s

आज सिंह गुर्राया है

आज सिंह गुर्राया है वन में गर्जन छाया है छुपे श्वान सब अपने बिल में एक नवयुग उदय कराया है कर प्रहार, हुए अनेक वार चोटिल हुआ है बारम्बार पर अवसरवाद कर तुमने केसरी को ललकारा है आज सिंह जो दहाड़ा है वन में गर्जन छाया है करो प्रत्यक्ष पर पर्दा किन्तु दर्पण आज दिख आया है क्षीण भाव का परिचय बनकर अपना स्तर तुमने गिराया है फेर पंजा वनराज ने किन्तु क्षद्मों को धूल चटाया है आज सिंह गुर्राया है वन में गर्जन छाया है छुपे श्वान सब अपने बिल में एक नवयुग उदय कराया है

मृत्यु तू आरम्भ है

मृत्यु तू आरम्भ है एक अनभिज्ञ आभास का अभय हो अब आलिंगन कर करें त्याग हम श्वास का जो ज्ञात न हो हमें क्यों व्यर्थ चिंतन उसपर करें अंतिम क्षण तो पूर्वविधित है हर मनुष्य के प्राण का भ्रांतियाँ घेरें अनेक हैं इस जीवन के दर्पण पर मात्र एक सत्य कर स्वीकार करें आह्वान धर्मराज का मृत्यु तू आरम्भ है एक अनभिज्ञ आभास का अभय हो अब आलिंगन कर करें त्याग हम श्वास का

वीर-रस

चलें हैं फिर आज हम तो पुनः सत्य के शूलों पे उतरें हैं फिर आज हम तो पुनः अग्नि के कुंडों में अवगत थे न हम कभी जीवन की किसी सरलता से मरुस्थल में पुष्प को खिलाना वीरों से सीखा है हमने

प्रेरनागान

वीर निराश तू कभी न होना युद्ध से विचलित कभी न होना अवगत हो अपने साहस से अंतिम समय बंधे ढांढस से अन्त निकट अभी नहीं तुम्हारा उगा सूरज, हुआ उजियारा जलती चिता में बुझते प्राण काल आहुति मांगे बलिदान किंकर्तव्यविमूढ़ न होना हँसमुख होकर आगे बढ़ना जीवन नाव कर तटस्थ तुम पृथ्वी पे फूलों सा सजना घाव अनेक, पर मृत्यु एक स्मरण रहे यह क्षण प्रत्येक वीरों को शोभा नहीं देता रणभूमि की वेला छोड़ना रथ सवार कर धर्मराज का अंतिम चरण में भागी होना वीर निराश तू कभी न होना युद्ध से विचलित कभी न होना