एक और अवसर - एक कहानी
सिंगरौली में गर्मियों का मौसम बहुत ही मुश्किल से बीतता है। श्याम तो खासतौर पर बहुत ही सकट गर्म होती है, मानव की सूरज जाते-जाते अपनी गर्मी रात को उधार दी क्या हो। वैसे ही शहर में पावर प्लांट की कोई कमी तो है नहीं उनकी गर्मी भी शायद इस बेइंतहा गर्मी में कुछ ना कुछ योगदान करती होगी। बहरहाल जिस तरह यह मौसम बीत रहा था, उसमें कुछ नवीनता तो नहीं थी हां इतना जरूर था के लोगों के अंदर बारिश के लिए एक अजीब सा उतावलापन पैदा हो रहा था। हाल ही में नवीन दिल्ली से आया था अपनी पोस्टिंग संभालने के लिए। दिल्ली की गर्मी की तो उसे बहुत जानकारी थी लेकिन उसके ख्यालों में भी उसने ऐसी गर्मी के बारे में सोचा तक ना था। दिनभर पावर प्लांट की झुलसती गर्मी से बेहाल हो कर वह जब शाम को अपने क्वार्टर पहुंचता था तो दरवाजा खोलने पर अंदर से आती गर्म हवा के थपेड़ों से लिपट जाता था। किस मनहूस घड़ी में उसकी तकदीर लिखी गई थी, यही सोच सोच कर घर में ऐसी चलाता और एक घंटा बिना कुछ करे बस वही सोफे पर सो जाता। ना जाने कब रात आ जाती, एक का एक उसकी नींद खुलती, कभी खाना बनाता अपने लिए और और कई बारी भूखे पेट ही सो जाता। हां, लेकिन ए